इस्लामी धर्म में ईद उल-फ़ित्र, या ईद अल-फ़ित्र, सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इस्लामी कैलेंडर के महमान महीने रमज़ान के बाद यह पर्व मनाया जाता है, जिसे "फ़ित्र"की ईद" भी कहते हैं। यह पर्व ईसाई क्रिसमस के साथ एक बार हर साल मनाया जाता है।


इस्लामी समाज में ईद उल-फ़ित्र को आपसी मोहब्बत, ताक़त, समझदारी और शुक्रगुज़ारी के भावों से मनाया जाता है। मुसलमान इस दिन नमाज़ पढ़ने के बाद आपस में "ईद मुबारक" या "ईद के मुबारकबाद" कहते हैं। इसके बाद घरों में मिलकर खुशी मनाते हैं और आपस में मिठाई बाँटते हैं। यह दिन है जब लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं, खाना बनाते हैं और बहन-भाई, दोस्तों और मित्रों के घर जाते हैं।

रमज़ान के महीने के अंत में रोज़ा रखने के बाद रोज़ा खोलने का दिन ईद उल-फ़ित्र कहलाता है। समुदाय इसे एक धार्मिक उत्सव के रूप में भी मनाता है। यह पर्व खुशी से भरा होता है और लोग एक दूसरे के साथ खास समय बिताते हैं।
मुस्लिम लोग रमज़ान महीने में रोज़ा रखते हैं, जिसका अर्थ है कि वे सुबह से सूर्यास्त तक कुछ भी खाने पीने से मना करते हैं। ईद उल-फ़ित्र रमज़ान के बाद का पहला रोज़ाखोल है, जिस दिन मुस्लिम लोग खुश होते हैं।
ईद उल-फ़ित्र के दिन लोग ईद नमाज़ा नामक एक विशेष नमाज़ पढ़ते हैं। नमाज़ के अंत में लोग एक दूसरे को गले मिलते हैं और दुआएं करते हैं, जिसे "ईद मुबारक कहते हैं। फिर वे खाना खाते हैं और अपने दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के साथ मिठाई बाँटते हैं।भारतीय मुस्लिम भी इसे धूमधाम से मनाते हैं। ईद उल-फ़ित्र को भारत से बाहर भी मनाया जाता है, हर देश और क्षेत्र में इसे अपने अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।